आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "mustaqil"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "mustaqil"
ग़ज़ल
मुस्तक़िल महरूमियों पर भी तो दिल माना नहीं
लाख समझाया कि इस महफ़िल में अब जाना नहीं
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
तो अब मिरे तमाम रंज मुस्तक़िल रहेंगे क्या?
तो क्या तुम्हारी ख़ामुशी का कोई हल नहीं रहा?
जव्वाद शैख़
ग़ज़ल
सुकून-ए-मुस्तक़िल दिल बे-तमन्ना शैख़ की सोहबत
ये जन्नत है तो इस जन्नत से दोज़ख़ क्या बुरा होगा
हरी चंद अख़्तर
ग़ज़ल
मुस्तक़िल नहीं 'अमजद' ये धुआँ मुक़द्दर का
लकड़ियाँ सुलगने में देर कुछ तो लगती है