aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "na-goyad"
ता-न-बाशद चीज़ के मर्दुम न-गोयद चीज़-हाकुछ हक़ीक़त भी हुआ करती है अफ़्सानों के साथ
हम हो गए महलूल अब इक दूसरे में जान-ए-जाँता-कस न गोयद बा'द-अज़ीं मन-दीगरम-तू-दीगरी
आबला-पाई का नशा न गयाहम से सब की तरह चला न गया
बेवफ़ा से गला किया न गयालुत्फ़-ए-ग़म बे-मज़ा किया न गया
हर्फ़ों की ज़बानी हो बयाँ कैसे वो क़िस्सालिक्खा न गया है जो सुनाया न गया है
इब्तिदा से ये है दस्तूर ज़माने का 'नदीम'दिल को समझा न गया दर्द को जाना न गया
क्यूँ ग़लत रह से बचाया न गयाजाने क्यूँ मोड़ के लाया न गया
हरीफ़-ए-ज़ात अजब थे कि उम्र भर ख़ुद कोबुरा समझते रहे पर बुरा कहा न गया
कहा गया न कभी और कभी सुना न गयामैं ऐसा हर्फ़ हूँ जो आज तक लिखा न गया
सर को चाहा भी उठाना तो उठाया न गयाकर के सज्दा तिरा फिर होश में आया न गया
हज़ार शुक्र कभी तेरा आसरा न गयामगर ये है दिल-ए-आदम कि वसवसा न गया
कुछ रहा ग़म कि वो सारा न गयातुम गए ज़िक्र तुम्हारा न गया
मंज़र-ए-सुबह दिखाने उसे लाया न गयाआती जाती रहीं शामें कोई आया न गया
तमाम-उम्र चला हूँ मगर चला न गयातिरी गली की तरफ़ कोई रास्ता न गया
दर्द तेरा मिरे सीने से निकाला न गयाइक मुहाजिर को मदीने से निकाला न गया
ख़ुदी का नश्शा चढ़ा आप में रहा न गयाख़ुदा बने थे 'यगाना' मगर बना न गया
ज़बाँ से दिल का फ़साना अदा किया न गयाये तर्जुमाँ तो बनी थी मगर बना न गया
आसमाँ मिल न सका धरती पे आया न गयाज़िंदगी हम से कोई ठौर बनाया न गया
जाम खनके तो सँभाला न गया दिल तुम सेहै अभी दूर बहुत ज़ब्त की मंज़िल तुम से
लबों तक आया ज़बाँ से मगर कहा न गयाफ़साना दर्द का अल-मुख़्तसर कहा न गया
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