आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "naGma-e-ishq"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "naGma-e-ishq"
ग़ज़ल
नग़्मा-ए-इश्क़ सुनाता हूँ मैं इस शान के साथ
रक़्स करता है ज़माना मिरे विज्दान के साथ
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
साँसों की जल-तरंग पर नग़्मा-ए-इश्क़ गाए जा
ऐ मिरी जान-ए-आरज़ू तू यूँही मुस्कुराए जा
गणेश बिहारी तर्ज़
ग़ज़ल
फ़न्न-ए-मौसीक़ी से वाबस्ता है अपनी शायरी
हम ग़ज़ल पढ़ते हैं ऐ 'नग़्मा' हुनर के साथ-साथ
नग़मा ख़ैराबादी
ग़ज़ल
दो अश्क जाने किस लिए पलकों पे आ कर टिक गए
अल्ताफ़ की बारिश तिरी इकराम का दरिया तिरा
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
कर बैठे तर्क-ए-इश्क़ हम चाक-ए-गरेबाँ सी लिया
'नग़्मा' भी ख़ुद हैरान है हम पारसा इतने न थे
रूपा मेहता नग़मा
ग़ज़ल
शाइ'री का साज़ है वो साज़ हो जिस साज़ में
नग़्मा-ए-रूह-उल-अमीं से बाँग-ए-इसराफ़ील तक
अश्क अमृतसरी
ग़ज़ल
दो बोल दिल के हैं जो हर इक दिल को छू सकें
ऐ 'अश्क' वर्ना शेर हैं क्या शाइरी है क्या