आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "naGmo.n"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "naGmo.n"
ग़ज़ल
फिर चराग़-ए-लाला से रौशन हुए कोह ओ दमन
मुझ को फिर नग़्मों पे उकसाने लगा मुर्ग़-ए-चमन
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
क्या त'अज्जुब कि मिरी रूह-ए-रवाँ तक पहुँचे
पहले कोई मिरे नग़्मों की ज़बाँ तक पहुँचे
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
बोता रहता हूँ हवा में गुम-शुदा नग़्मों के बीज
वो समझते हैं कि मसरूफ़-ए-फ़ुग़ाँ रहता हूँ मैं
अहमद मुश्ताक़
ग़ज़ल
जिन आँखों की उदासी में बयाबाँ साँस लेते हैं
उन्हीं की याद में नग़्मों का ये दरिया निकल आया
बशर नवाज़
ग़ज़ल
न छेड़ ऐ हम-नशीं अब ज़ीस्त के मायूस नग़्मों को
कि अब बरबत के तारों को बड़ी तकलीफ़ होती है
अब्दुल हमीद अदम
ग़ज़ल
या दर्द के नग़्मों में वही है तिरी आवाज़
या पर्दा-ए-साज़-ए-रग-ए-जाँ और ही कुछ है