आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "naare"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "naare"
ग़ज़ल
क्या अजब कार-ए-तहय्युर है सुपुर्द-ए-नार-ए-इश्क़
घर में जो था बच गया और जो नहीं था जल गया
सलीम कौसर
ग़ज़ल
वो तब'-ए-यास-परवर ने मुझे चश्म-ए-अक़ीदत दी
कि शाम-ए-ग़म की तारीकी को भी नूर-ए-सहर जाना
चकबस्त बृज नारायण
ग़ज़ल
हर्फ़-ए-इंकार है क्यूँ नार-ए-जहन्नम का हलीफ़
सिर्फ़ इक़रार पे क्यूँ बाब-ए-इरम खुलता है
वहीद अख़्तर
ग़ज़ल
कुछ मेहर-ए-क़यामत है न कुछ नार-ए-जहन्नम
हुश्यार कि वो क़हर-ओ-ग़ज़ब और ही कुछ है
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
जा के अब नार-ए-जहन्नम की ख़बर ले ज़ाहिद
नद्दियाँ बह गईं अश्कों की गुनहगारों में
मुज़्तर ख़ैराबादी
ग़ज़ल
हैं आफ़्ताब नार-ए-मोहब्बत के सोख़्ता
सोहबत में उन की होती है 'साक़ी' जिला-ए-क़ल्ब
पंडित जवाहर नाथ साक़ी
ग़ज़ल
है दिल-ए-मसरूर-ए-'हसरत' इक तरब-ज़ार-ए-उमीद
फूँक डाले गर न इस गुलशन को नार-ए-इंतिज़ार
हसरत मोहानी
ग़ज़ल
मुर्दा नारे लगाने वाले ज़िंदा गोश्त जला सकते हैं
इस बे-अंत हुजूम को ख़ुद से ज़ियादा डरने मत देना