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ग़ज़ल
जीत के भी वो शर्मिंदा है हार के भी हम नाज़ाँ
कम से कम वो दिल ही दिल में ये माना तो होगा
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
बज़्म-ए-हस्ती अपनी आराइश पे तू नाज़ाँ न हो
तू तो इक तस्वीर है महफ़िल की और महफ़िल हूँ मैं
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
क़मर जलालवी
ग़ज़ल
जनाब-ए-दिल बहुत नाज़ाँ न हों दाग़-ए-मोहब्बत पर
ये दुनिया है यहाँ ये दाग़ भी धोना ज़रूरी है
शोएब बिन अज़ीज़
ग़ज़ल
तू अपने 'अर्श पे शादाँ है सो ख़ुशी तेरी
मैं अपने फ़र्श पे नाज़ाँ हूँ ऐ निगार-ए-अज़ल
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
आप की आज़ादियाँ हैं आप ही के हाथ में
जिस पे क़ुदरत भी है नाज़ाँ वो गिरफ़्तारी हैं आप
अब्बास क़मर
ग़ज़ल
बहुत नाज़ाँ है तू ऐ क़ैस पर वहशत दिखाऊँगा
किताबों में कभू क़िस्सा जो 'मोमिन' का निकल आया