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ग़ज़ल
शामिल-ए-अन्फ़ास थे नग़्मात-ए-ऐश-ओ-इंबिसात
ज़िंदगी के साज़ का हर ज़ेर-ओ-बम शाहाना था
बिस्मिल सईदी
ग़ज़ल
नूह नारवी
ग़ज़ल
कोई है महव-ए-ऐश-ओ-तलबगार-ए-ज़िंदगी
कोई है शिकवा-संज-ओ-गिराँ-बार-ए-ज़िंदगी
बशीरून्निसा बेगम बशीर
ग़ज़ल
नई बज़्म-ए-ऐश-ओ-नशात में ये मरज़ सुना है कि आम है
किसी लोमड़ी को मलेरिया किसी मेंठकी को ज़ुकाम है
शौक़ बहराइची
ग़ज़ल
अहल-ए-दिल के वास्ते है बहर-ए-ऐश-ओ-इम्बिसात
गो ब-ज़ाहिर बज़्म-ए-हस्ती एक ग़म-ख़ाना भी है
साबिर अबुहरी
ग़ज़ल
ख़ूगर-ए-ऐश-ओ-मसर्रत दिल-ए-ख़ुद-काम नहीं
है ये आराम की सूरत मगर आराम नहीं
नवाब सय्यद हकीम अहमद नक़्बी बदायूनी
ग़ज़ल
ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर
ग़ज़ल
बज़्म-ए-नशात-ओ-ऐश का सामाँ लिए हुए
आई सबा बहार-ए-गुलिस्ताँ लिए हुए
मुमताज़ अहमद ख़ाँ ख़ुशतर खांडवी
ग़ज़ल
मयस्सर हो तो क़द्रे लुत्फ़ भी नेमत है याँ यारो
किसी का वादा-ए-ऐश-ए-दवाम अच्छा नहीं लगता