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ग़ज़ल
क्यूँ आ गए हैं बज़्म-ए-ज़ुहूर-ओ-नुमूद में
आज़ाद मर्द हो के रहे हम क़ुयूद में
पंडित जवाहर नाथ साक़ी
ग़ज़ल
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
किस रंग में बयान करें माजरा-ए-क़ल्ब
देखा जो हम ने जल्वा-ए-हैरत-फ़ज़ा-ए-क़ल्ब
पंडित जवाहर नाथ साक़ी
ग़ज़ल
बे-वफ़ाओं को वफ़ाओं का ख़ुदा हम ने कहा
क्या हमें कहना था ऐ दिल और क्या हम ने कहा
राजेन्द्र नाथ रहबर
ग़ज़ल
मरना मरीज़-ए-इश्क़ के हक़ में शिफ़ा हुआ
अच्छा हुआ नजात मिली क्या बुरा हुआ