aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "nikhar"
बस इक निगाह से लुटता है क़ाफ़िला दिल कासो रह-रवान-ए-तमन्ना भी डर के देखते हैं
उस रात कोई ख़ुश्बू क़ुर्बत में नहीं जागीमैं वर्ना सँवर जाता और वो भी निखर जाता
बारिश-ए-वस्ल वो हुई सारा ग़ुबार धुल गयावो भी निखर निखर गया हम भी निखर निखर गए
ख़ुशी हुई है आज तुम को देख करबहुत निखर सँवर गए हो ख़ुश रहो
ख़ून-ए-उश्शाक़ से जाम भरने लगे दिल सुलगने लगे दाग़ जलने लगेमहफ़िल-ए-दर्द फिर रंग पर आ गई फिर शब-ए-आरज़ू पर निखार आ गया
इन अँधेरों से ही सूरज कभी निकलेगा 'नज़ीर'रात के साए ज़रा और निखर जाने दे
मैं बढ़ाऊँगा तिरी शोहरत-ए-ख़ुश्बू का निखारतू दुआ दे मिरे अफ़्साना-ए-रुसवाई को
दर्द की धूप से चेहरे को निखर जाना थाआइना देखने वाले तुझे मर जाना था
ये अश्क दिल पे गिरें तो बहुत चमकता हैकभी ये आइना तेज़ाब से निखार के देख
तुम गुल थे हम निखार अभी कल की बात हैहम से थी सब बहार अभी कल की बात है
वो एक झील थी शफ़्फ़ाफ़ नील पानी कीऔर उस में डूब को ख़ुद को निखार आए हम
शिकन-ए-ज़ुल्फ़-ए-अंबरीं क्यूँ हैनिगह-ए-चश्म-ए-सुरमा सा क्या है
ज़ियादा उम्र तो होती नहीं गुलों की मगरगुलों की तरह निखर जाना चाहते हैं हम
बस एक निगाह की थी उस नेसारा चेहरा निखर गया है
चलो कि जश्न-ए-बहार देखें चलो कि ज़र्फ़-ए-बहार जांचेंचमन चमन रौशनी हुई है कली कली पे निखार सा है
हवा चली तो नई बारिशें भी साथ आईंज़मीं के चेहरे पे आया निखार का मौसम
ये जो मुझ पर निखार है साईंआप ही की बहार है साईं
जज़्बा-ए-ग़म की ख़ैर हो 'साग़र'हसरतों पर निखार देखा है
फिर आईना-ए-आलम शायद कि निखर जाएफिर अपनी नज़र शायद ता-हद्द-ए-नज़र जाए
शब चाँदनी की आँच में तप कर निखर गईसूरज की जलती आग में दिन ख़ाक हो गया
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