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ग़ज़ल
अब छोड़ तसव्वुर में मरना मैदाँ में निकल आ जीने को
तूफ़ान के सीने पर खेना है तुझ को अपने सफ़ीने को
क़य्यूम नज़र
ग़ज़ल
रूह के उस छोर तक होंटों का ये तिल जाएगा
साथ चल कर अब मिरे मेरा ही क़ातिल जाएगा
अनिल शर्मा तन्हा
ग़ज़ल
तू भी अब छोड़ दे साथ ऐ ग़म-ए-दुनिया मेरा
मेरी बस्ती में नहीं कोई शनासा मेरा