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ग़ज़ल
मुझे आज इतनी नफ़रत से न देखती ये दुनिया
जो पढ़ाई से ज़रा भी मिरे दिल को प्यार होता
कैफ़ अहमद सिद्दीकी
ग़ज़ल
नबील अहमद नबील
ग़ज़ल
समुंदर में उतरता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं
तिरी आँखों को पढ़ता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं