आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "paa-e-nigaah-e-ahl-e-nazar"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "paa-e-nigaah-e-ahl-e-nazar"
ग़ज़ल
पा-ए-निगाह-ए-अहल-ए-नज़र के पड़े हैं नील
रुख़्सार-ए-नाज़नीं पे नहीं तिल अलग अलग
असद अली ख़ान क़लक़
ग़ज़ल
अर्शी भोपाली
ग़ज़ल
दाद मिलती नज़र-ए-अहल-ए-नज़र से पहले
मौत आती जो कहीं दिल को जिगर से पहले
मिर्ज़ा अल्ताफ़ हुसैन आलिम लखनवी
ग़ज़ल
हक़ाएक़ कितने ऐ अहल-ए-नज़र हम भूल जाते हैं
छुपे होते हैं पत्थर में गुहर हम भूल जाते हैं
ज़हीर ग़ाज़ीपुरी
ग़ज़ल
ज़ौक़-ए-नज़्ज़ारा दिलों में दफ़्न हो कर रह गया
आँख वालों में भी अब अहल-ए-नज़र मिलते नहीं