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ग़ज़ल
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
शाम हुए ख़ुश-बाश यहाँ के मेरे पास आ जाते हैं
मेरे बुझने का नज़्ज़ारा करने आ जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
जुनूँ तोहमत-कश-ए-तस्कीं न हो गर शादमानी की
नमक-पाश-ए-ख़राश-ए-दिल है लज़्ज़त ज़िंदगानी की
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
क़ातिल है किस मज़े से नमक-पाश-ए-ज़ख़्म-ए-दिल
बिस्मिल ज़रा तड़प के नमक तो हलाल कर
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
ये रंग पाश हुए हैं वो आज ऐ 'नादिर'
है फ़र्श-ए-बज़्म-ए-तरब लाला-ज़ार होली में