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ग़ज़ल
इश्क़ का पहिया घूमेगा लेकिन इस बार कहानी में
राधा गोकुल से और मोहन बरसाने से निकलेगा
सिद्धार्थ साज़
ग़ज़ल
अब के वक़्त कड़ा है हम पर जो भी कह दें आप बजा
वक़्त का पहिया घूम गया फिर देखेंगे शहज़ादों को
माहरुख़ अली माही
ग़ज़ल
नगरी नगरी फिरा मुसाफ़िर घर का रस्ता भूल गया
क्या है तेरा क्या है मेरा अपना पराया भूल गया