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ग़ज़ल
हम उन की तरफ़ से कभी होते नहीं ग़ाफ़िल
रिश्ते वही पक्के हैं जो पक्के नहीं होते
बासिर सुल्तान काज़मी
ग़ज़ल
गुमाँ होता है 'शाहिद' रेडियो पर सुन के मौसीक़ी
कि पक्के राग और नमकीं ग़रारे एक जैसे हैं