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ग़ज़ल
फला-फूला रहे या-रब चमन मेरी उमीदों का
जिगर का ख़ून दे दे कर ये बूटे मैं ने पाले हैं
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
ख़ौफ़-ए-मीज़ान-ए-क़यामत नहीं मुझ को ऐ दोस्त
तू अगर है मिरे पल्ले में तो डर किस का है
अमीर मीनाई
ग़ज़ल
घर के दुखड़े शहर के ग़म और देस बिदेस की चिंताएँ
इन में कुछ आवारा कुत्ते हैं कुछ हम ने पाले हैं