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ग़ज़ल
ऐनुद्दीन आज़िम
ग़ज़ल
शिकवा दराज़-दस्ती-ए-दिल का बजा मगर
आप ही के इल्तिफ़ात ने मिट्टी पलीद की
मोहम्मद शम्सुद्दीन आजिज़
ग़ज़ल
जो नज़्म-ओ-नस्र का है फ़र्क़ उस को क़ाएम रख
अदब की कर न यूँ मिट्टी पलीद तौबा कर
अब्दुस्सलाम आसिम
ग़ज़ल
नफ़्स-ए-सग-ए-पलीद को गर अपने मारिए
मानिंद-ए-शेर दश्त-ए-जहाँ में डकारिए
मिर्ज़ा मासिता बेग मुंतही
ग़ज़ल
ग़रीब-ए-शाम की तरकीब मुस्त'आर ले ले
पलीद ज़िक्र से गुफ़्तार-ए-वाहियात न कर
मुकर्रम हुसैन आवान ज़मज़म
ग़ज़ल
आज तो जानी रस्ता तकते शाम का चाँद पदीद हुआ
तू ने तो इंकार किया था दिल कब ना-उम्मीद हुआ
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
तुम्हारी आरज़ू क्यूँ दिल के वीराने में आ पहुँची
बहारों में पली होती सितारों में रही होती