aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "paro.n"
परों को खोल ज़माना उड़ान देखता हैज़मीं पे बैठ के क्या आसमान देखता है
काँटों में घिरे फूल को चूम आएगी लेकिनतितली के परों को कभी छिलते नहीं देखा
फ़ज़ा-ए-शौक़ में उस की बिसात ही क्या थीपरिंद अपने परों का निशाना हो गया है
उड़ान वालो उड़ानों पे वक़्त भारी हैपरों की अब के नहीं हौसलों की बारी है
लहू-लुहान पड़ा था ज़मीं पर इक सूरजपरिंदे अपने परों से हवाएँ करने लगे
अपने सौदा-ज़दगाँ से ये कहा है उस नेचल के अब आइयो पैरों पे सरों के होते
हर चंद राख हो के बिखरना है राह मेंजलते हुए परों से उड़ा हूँ मुझे भी देख
उड़ गया तो शाख़ का सारा बदन जलने लगाधूप रख ली थी परिंदे ने परों के दरमियाँ
चमक रही है परों में उड़ान की ख़ुशबूबुला रही है बहुत आसमान की ख़ुशबू
परों में तीर है पंजों में तिनकेमैं ये चिड़िया उड़ाना चाहता हूँ
तुम ने सिर्फ़ चाहा है हम ने छू के देखे हैंपैरहन घटाओं के जिस्म बर्क़-पारों के
परों में सिमटा तो ठोकर में था ज़माने कीउड़ा तो एक ज़माना मिरी उड़ान में था
ऊँची उड़ें हवा में बच्चों को पर न भूलेंइन बे-परों का उन को रोज़ी-रसाँ बनाया
जिस ने मह-पारों के दिल पिघला दिएवो तो मेरी शाएरी थी मैं न था
ये कह गए हैं मुसाफ़िर लुटे घरों वालेडरें हवा से परिंदे खुले परों वाले
संग-रेज़ों से ख़ज़फ़-पारों सेकितने हीरे कभी चुन लाए हैं
वो खुरदुरी चटानें वो दरिया वो आबशारसब कुछ समेट ले गई अपने परों में रात
जब मयस्सर हों साग़र-ओ-मीनाबर्क़-पारों को फूल कहता हूँ
मेरी आँखों मेरे होंटों पे ये कैसी तमाज़त हैकबूतर के परों की रेशमी उजली हरारत सी
रिहा हुए प अजब हाल है असीरों काकि अब वो अपने परों को तलाश करते हैं
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