आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "parvarish"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "parvarish"
ग़ज़ल
ख़ुद-ग़र्ज़ियों के साए में पाती है परवरिश
उल्फ़त को जिस का सिद्क़ ओ सफ़ा नाम रख दिया
गोपाल मित्तल
ग़ज़ल
ग़म आग़ोश-ए-बला में परवरिश देता है आशिक़ को
चराग़-ए-रौशन अपना क़ुल्ज़ुम-ए-सरसर का मर्जां है
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
ख़ुशी से कौन करता है ग़मों की परवरिश 'साजिद'
किसे है शौक़ लोगो दर्द के साँचे में ढलने का
इक़बाल साजिद
ग़ज़ल
तिरे ही ख़्वान-ए-ने'मत से है सब की परवरिश वर्ना
कोई च्यूँटी से हाथी तक खिला सकता है क्या क़ुदरत
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
परवरिश पाती हैं साजिद मकड़ियाँ तख़्लीक़ की
ज़ह्न में सोचों के जाले को लिए फिरता हूँ मैं
इक़बाल साजिद
ग़ज़ल
ये रंग-ओ-बू के तिलिस्मात किस लिए हैं 'सुरूर'
बहार क्या है जुनूँ की जो परवरिश ही नहीं
आल-ए-अहमद सुरूर
ग़ज़ल
अली सरदार जाफ़री
ग़ज़ल
परवरिश तक़दीर करती है मुझे बहर-ए-क़ज़ा
ज़ब्ह को पर्वर्दा करना काम है क़स्साब का
मुनीर शिकोहाबादी
ग़ज़ल
रोज़-ए-अव्वल से असीर ऐ दिल-ए-नाशाद हैं हम
परवरिश-याफ़्ता-ए-ख़ाना-ए-सय्याद हैं हम