आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "pastii"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "pastii"
ग़ज़ल
इज्ज़-ए-गुनाह के दम तक हैं इस्मत-ए-कामिल के जल्वे
पस्ती है तो बुलंदी है राज़-ए-बुलंदी पस्ती है
फ़ानी बदायुनी
ग़ज़ल
मैं दरिया हूँ मगर बहता हूँ मैं कोहसार की जानिब
मुझे दुनिया की पस्ती में उतर जाना नहीं आता
अदीम हाशमी
ग़ज़ल
ये जो कुछ देखते हैं हम फ़रेब-ए-ख़्वाब-ए-हस्ती है
तख़य्युल के करिश्मे हैं बुलंदी है न पस्ती है
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
ख़ुदा जाने ये है औज-ए-यकीं या पस्ती-ए-हिम्मत
ख़ुदा से कह रहा हूँ ना-ख़ुदा होने का वक़्त आया
हरी चंद अख़्तर
ग़ज़ल
'अक़्ल की सत्ह से कुछ और उभर जाना था
'इश्क़ को मंज़िल-ए-पस्ती से गुज़र जाना था
असरार-उल-हक़ मजाज़
ग़ज़ल
अख़्तर शीरानी
ग़ज़ल
पस्ती-ए-ज़मीं से है रिफ़अत-ए-फ़लक क़ाएम
मेरी ख़स्ता-हाली से तेरी कज-कुलाही भी
मजरूह सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
हद है पस्ती की कि पस्ती को बुलंदी जाना
अब भी एहसास हो इस का तो उभरना है यही