आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "pha.dke"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "pha.dke"
ग़ज़ल
वादा चूक फिर आया 'नाजी' दर्स की ख़ातिर फड़के मत
छूट गले तेरे ऐ ज़ालिम सब्र कहाँ बे-सब्रों को
नाजी शाकिर
ग़ज़ल
इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना हामी भर लेना
बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
फड़क उठ्ठा कोई तेरी अदाए मा-'अरफ़ना पर
तिरा रुत्बा रहा बढ़-चढ़ के सब नाज़-आफ़रीनों में
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
कूच अपना उस शहर तरफ़ है नामी हम जिस शहर के हैं
कपड़े फाड़ें ख़ाक-ब-सर हों और ब-इज़्ज़-ओ-जाह चलें
जौन एलिया
ग़ज़ल
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
कहो तो हम भी चलें 'फ़ैज़' अब नहीं सर-ए-दार
वो फ़र्क़-ए-मर्तबा-ए-ख़ास-ओ-आम कहते हैं