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ग़ज़ल
संदीप कोल नादिम
ग़ज़ल
तो फिर मैं क्या अगर अन्फ़ास के सब तार गुम उस में
मिरे होने न होने के सभी आसार गुम उस में
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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तो फिर मैं क्या अगर अन्फ़ास के सब तार गुम उस में
मिरे होने न होने के सभी आसार गुम उस में
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