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ग़ज़ल
मन बै-रागी तन अनुरागी क़दम क़दम दुश्वारी है
जीवन जीना सहल न जानो बहुत बड़ी फ़नकारी है
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
न शोख़ी शोख़ है इतनी न पुरकार इतनी पुरकारी
न जाने लोग तेरी सादगी को क्या समझते हैं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
ऐसा प्यार था हम दोनों में कि बरसों ला-इल्म रहे
उस ने भी किरदार निभाया मैं ने भी फ़नकारी की
आमिर अमीर
ग़ज़ल
बाग़ के माली मेरे ग़ुंचे ग़ैरों ने पामाल किए
फिर भी तेरी फुलवारी को महकाएगा ठंडा हाथ
साग़र सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
अब देखें तो दूर कहीं पर यादों की फुलवारी में
रंगों से भरपूर फ़ज़ा थी जो लाफ़ानी लगती थी
फ़रह इक़बाल
ग़ज़ल
ग़ुंचे रोएँ कलियाँ रोएँ रो रो अपनी आँखें खोएँ
चैन से लम्बी तान के सोएँ इस फुलवारी के रखवाले
हबीब जालिब
ग़ज़ल
जब दुनिया पर बस न चले तो अंदर अंदर कुढ़ना क्या
कुछ बेले के फूल खिलाएँ आँगन की फुलवारी में
अज़रा नक़वी
ग़ज़ल
दुनिया की फुलवारी में जो सब से सुंदर तितली हो
उस तितली का हुस्न सँवारें और कहें ये तुम ही हो