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ग़ज़ल
अभी इक शोर-ए-हा-ओ-हू सुना है सारबानों ने
वो पागल क़ाफ़िले की ज़िद में पीछे रह गया होगा
जौन एलिया
ग़ज़ल
काँच के पीछे चाँद भी था और काँच के ऊपर काई भी
तीनों थे हम वो भी थे और मैं भी था तन्हाई भी
गुलज़ार
ग़ज़ल
क्या मिला आख़िर तुझे सायों के पीछे भाग कर
ऐ दिल-ए-नादाँ तुझे क्या हम ने समझाया न था
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
आगे पीछे दाएँ बाएँ साए से लहराते हैं
दुनिया भी तो दश्त-ए-बला है हम ही नहीं दीवाने लोग