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ग़ज़ल
मिसी-आलूद लब चूसे जो उस के बलबे शीरीनी
मज़ा आया मिरे मुँह में सियह पोन्डे की पूरी का
असद अली ख़ान क़लक़
ग़ज़ल
ये मिरे पौदे ये मिरे पंछी ये मिरे प्यारे प्यारे लोग
मेरे नाम जो बादल आए बस्ती में बरसा देना
रईस फ़रोग़
ग़ज़ल
खुल के रो लेने से दिल हलकान हो जाएगा क्या
मुस्कुरा दूँगा तो सब आसान हो जाएगा क्या
बालमोहन पांडेय
ग़ज़ल
मैं तो उस पौदे को पानी भी नहीं देता कभी
कैसे खिल जाती है ये ग़म की कली शाम के बा'द
सिद्धार्थ सैनी साद
ग़ज़ल
जिन्हें सींचा था ख़ून-ए-दिल से अगले बाग़बानों ने
तरसते अब हैं पानी को वो पौदे मेरे गुलशन में