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ग़ज़ल
शर्म से दोहरा हो जाएगा कान पड़ा वो बुंदा भी
बाद-ए-सबा के लहजे में इक बात में ऐसी पूछूँगा
अमजद इस्लाम अमजद
ग़ज़ल
मैं तो पूछूँगा कि तुम सब के ख़ुदा कैसे हो
मेरी आवाज़ फ़रिश्तों की सदा कैसे हो
अंजुम फ़ौक़ी बदायूनी
ग़ज़ल
न पूछूँगा मैं ये भी जाम में है ज़हर या अमृत
तुम्हारे हाथ से अंदेशा-ए-नफ़-ओ-ज़रर क्या हो
नज़्म तबातबाई
ग़ज़ल
दुकान-ए-अस्लहा से मैं ने जो शमशीर ली है
मैं उस के दाम पूछूँगा न उस के दाम दूँगा
ग़ुलाम हुसैन साजिद
ग़ज़ल
डूबना चाहूँगा तो ख़ुश्की में हो जाऊँगा ग़र्क़
मैं न पूछूँगा कभी दरिया में पानी क्यूँ नहीं
परवीन कुमार अश्क
ग़ज़ल
ख़र्च की तफ़्सील पूछूँगा न माँगूँगा हिसाब
ले ले वो बुत कुल मिरी तनख़्वाह जो चाहे करे