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ग़ज़ल
आबाद रहेंगे वीराने शादाब रहेंगी ज़ंजीरें
जब तक दीवाने ज़िंदा हैं फूलेंगी फलेंगी ज़ंजीरें
हफ़ीज़ मेरठी
ग़ज़ल
ये सब कठ-पुतलियाँ रक़्साँ रहेंगी रात की रात
सहर से पहले पहले सब तमाशा ख़त्म होगा
इफ़्तिख़ार आरिफ़
ग़ज़ल
मुद्दतों क़ाइम रहेंगी अब दिलों में गर्मियाँ
मैं ने फोटो ले लिया उस ने नज़र पहचान ली
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
डरे क्यूँ मेरा क़ातिल क्या रहेगा उस की गर्दन पर
वो ख़ूँ जो चश्म-ए-तर से उम्र भर यूँ दम-ब-दम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
आने वाली नस्लों को ये देती रहेंगी दर्स-ए-वफ़ा
नए मुसव्विर तस्वीरों में मेरा लहू मुज़ाफ़ करें
सरदार पंछी
ग़ज़ल
जहाँ हैं महबूस अब भी हम वो हरम-सराएँ नहीं रहेंगी
लरज़ते होंटों पे अब हमारे फ़क़त दुआएँ नहीं रहेंगी
हबीब जालिब
ग़ज़ल
उठती रहेंगी दर्द की टीसें तमाम उम्र
हैं ज़ख़्म तेरे हाथ के भर भी गए तो क्या