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ग़ज़ल
जिस को चाहा बस उसी का रास्ता तकते रहे
पत्थरों की जुस्तुजू में ख़ुद को पत्थर कर लिया
अक़ील नोमानी
ग़ज़ल
लोग आसार-ए-क़दीमा की तरह तकते रहे
लिख के इक तख़्ती पे मैं उर्दू ज़बाँ टहला किया