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ग़ज़ल
कुफ़्र-ए-इश्क़ आया बदल मुझ मोमिन-ए-दीं-दार तक
नौबत-ए-बा-संदल-ओ-क़शक़ा है बल ज़ुन्नार तक
क़ासिम अली ख़ान अफ़रीदी
ग़ज़ल
कब नज़र में उन की है फ़र्क़-ए-काफ़िर-ओ-दींदार
जो तिरी मोहब्बत का दम जहाँ में भरते हैं
हेंसन रेहानी
ग़ज़ल
ज़रा ऐ दिल मोहब्बत का तराना तेज़-तर कर दे
अभी कुछ इम्तियाज़-ए-काफिर-ओ-दीं-दार बाक़ी है
प्रेम शंकर गोयला फ़रहत
ग़ज़ल
चेहरा भी बर्क़ भी दिल लेने में गेसू भी बला
एक सा मोजज़ा है काफ़िर ओ दीं-दार के पास
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
दैर ओ मस्जिद में तमन्ना-ए-ज़ियारत किस की
तुम को ऐ काफ़िर ओ दीं-दार लिए फिरती है