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ग़ज़ल
इश्क़ में ग़ैरत-ए-जज़्बात ने रोने न दिया
वर्ना क्या बात थी किस बात ने रोने न दिया
सुदर्शन फ़ाकिर
ग़ज़ल
इस का रोना नहीं क्यूँ तुम ने किया दिल बर्बाद
इस का ग़म है कि बहुत देर में बर्बाद किया