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ग़ज़ल
अमीर ख़ुसरो
ग़ज़ल
एक तो इतना हब्स है फिर मैं साँसें रोके बैठा हूँ
वीरानी ने झाड़ू दे के घर में धूल उड़ाई है
जौन एलिया
ग़ज़ल
दिया साक़ी ने अव्वल रोज़ वो पैमाना मस्ती में
कि मैं ना-आश्ना पी कर हुआ दीवाना मस्ती में
नुशूर वाहिदी
ग़ज़ल
इश्क़ में ग़ैरत-ए-जज़्बात ने रोने न दिया
वर्ना क्या बात थी किस बात ने रोने न दिया