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ग़ज़ल
उस के हर हर्फ़ से ख़ुशबू सी तुम्हारी महके
या रुबाई या कोई शे'र ग़ज़ल का लिक्खें
सुलैमान अतहर जावेद
ग़ज़ल
यही उम्र भर का दुख है यही ज़िंदगी का सुख है
न कोई फ़रेब-ए-हस्ती न शुऊर-ए-दिल-रुबाई
ज़ुहैर कंजाही
ग़ज़ल
नज़्म हो या हो रुबा'ई कहिये या क़ित'आ जनाब
शा'इरी की सिंफ़ का शहबाज़ है उर्दू ग़ज़ल