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ग़ज़ल
सफ़ेद रूमाल जब कबूतर नहीं बना तो वो शो'बदा-बाज़
पलटने वालों से कह रहा था रुको ख़ुदा की क़सम बनेगा
उमैर नजमी
ग़ज़ल
कहते हैं लोग सब्र का होता है मीठा फल
ठहरो रुको सुनो तुम्हें उजलत न मार दे
सैयद जॉन अब्बास काज़मी
ग़ज़ल
शायद मुझे कह दे कि रुको हलवा तो खा जाओ
हसरत से मैं तकता रहा मुड़ मुड़ मुतवातिर