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ग़ज़ल
घर से कुछ ख़्वाबों से मिलने के लिए निकले थे हम
क्या ख़बर थी ज़िंदगी से सामना हो जाएगा
अहमद मुश्ताक़
ग़ज़ल
हक़ीक़त से ख़याल अच्छा है बेदारी से ख़्वाब अच्छा
तसव्वुर में वो कैसा सामना होने से पहले था
अनवर शऊर
ग़ज़ल
मुझे कब किसी की उमंग थी मिरी अपने आप से जंग थी
हुआ जब शिकस्त का सामना तो ख़याल तेरी तरफ़ गया
लियाक़त अली आसिम
ग़ज़ल
जहन्नम हो कि जन्नत जो भी होगा फ़ैसला होगा
ये क्या कम है हमारा और उन का सामना होगा
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
मुझे ज़रा सा गुमाँ भी न था अकेला हूँ
कि दुश्मनों का कहीं सामना भी होना था