aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "sair"
फिर गर्म-नाला-हा-ए-शरर-बार है नफ़समुद्दत हुई है सैर-ए-चराग़ाँ किए हुए
मक़ाम-ए-परवरिश-ए-आह-ओ-लाला है ये चमनन सैर-ए-गुल के लिए है न आशियाँ के लिए
जी भर के दिल की मौत पे रोने दिया उसेपुर्सा दिया न सब्र की तल्क़ीन हम ने की
है मजमा-ए-अग़्यार कि हंगामा-ए-महशरक्या सैर मिरे दीदा-ए-तर देख रहे हैं
दिल-आशुफ़्तगाँ ख़ाल-ए-कुंज-ए-दहन केसुवैदा में सैर-ए-अदम देखते हैं
जिस सर को ग़ुरूर आज है याँ ताज-वरी काकल उस पे यहीं शोर है फिर नौहागरी का
साल होने को आया है वो कब लौटेगाआओ खेत की सैर को निकलें कूजें देखें
बरहना हैं सर-ए-बाज़ार तो क्याभला अंधों से पर्दा क्यों करें हम
सहरा से हो के बाग़ में आया हूँ सैर कोहाथों में फूल हैं मिरे पाँव में रेत है
सय्याद-ए-गुल-एज़ार दिखाता है सैर-ए-बाग़बुलबुल क़फ़स में याद करे आशियाना क्या
उन का ये कहना सूरज ही धरती के फेरे करता हैसर-आँखों पर सूरज ही को घूमने दो ख़ामोश रहो
चाँदनी रात में फूलों की सुहानी रुत मेंजब कभी सैर को निकलोगे तो याद आऊँगा
सैर-ए-महताब-ओ-कवाकिब से तबस्सुम ता-बकेरो रही है वो किसी की शम-ए-तुर्बत देखिए
सैर भी जिस्म के सहरा की ख़ुश आती है मगरदेर तक ख़ाक उड़ाना भी नहीं चाहता है
याद है सैर-ए-चराग़ाँ 'नासिर'दिल के बुझने का सबब याद नहीं
हर चंद नाज़-ए-हुस्न पे ग़ालिब न आ सकेकुछ और मारके हैं जो सर कर रहे हैं हम
आप तो हू-ब-हू वही हैं जोमेरे सपनों में सैर करता है
तू हम-सफ़र नहीं है तो क्या सैर-ए-गुलसिताँतो हम-सुबू नहीं है तो फिर क्या शराब पी
सिर से सीने में कभी पेट से पाँव में कभीइक जगह हो तो कहें दर्द इधर होता है
ख़त्म हो सकती नहीं सैर-ए-हयातज़िंदगी रुक रुक के चलती जाएगी
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