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ग़ज़ल
आमिर अमीर
ग़ज़ल
सजी है बज़्म-ए-शबनम तो तबस्सुम काम आएगा
तआरुफ़ फूल का दरपेश है तो चश्म-ए-तर ले जा
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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सजी है बज़्म-ए-शबनम तो तबस्सुम काम आएगा
तआरुफ़ फूल का दरपेश है तो चश्म-ए-तर ले जा