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ग़ज़ल
मेरा साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएँगे
या'नी मेरे बा'द भी या'नी साँस लिए जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
मछलियाँ बाज़ू पे उभरीं साक़-ए-पा शमएँ बनीं
ख़ूब साहब ने निकाले अब तो बारे हाथ पाँव
आग़ा अकबराबादी
ग़ज़ल
सकी मुख सफ़्हे पर तेरे लिख्या राक़िम मलक मिसरा
ख़फ़ी ख़त सूँ लिख्या नाज़ुक तिरे दोनों पलक मिसरा
क़ुली क़ुतुब शाह
ग़ज़ल
ब-नाम-ए-साक़ी-ए-गुल्गूँ लबान-ए-सीमीं-साक़
वफ़ूर-ए-बादा से ज़ौक़-ए-तलब शदीद करें
मुज़फ़्फ़र शिकोह
ग़ज़ल
चश्म-ब-चश्म रू-ब-रू सीना-ब-सीना दिल-ब-दिल
साक़-ब-साक़-ओ-लब-ब-लब पाए-ब-पाए सर-ब-सर