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ग़ज़ल
उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा
यूँही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
कौन होता है हरीफ़-ए-मय-ए-मर्द-अफ़गन-ए-इश्क़
है मुकर्रर लब-ए-साक़ी पे सला मेरे बा'द
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
गो देख चुका हूँ पहले भी नज़्ज़ारा दरिया-नोशी का
एक और सला-ए-आम कि साक़ी रात गुज़रने वाली है
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
मिल भी जाता जो कहीं आब-ए-बक़ा क्या करते
ज़िंदगी ख़ुद भी थी जीने की सज़ा क्या करते
तनवीर अहमद अल्वी
ग़ज़ल
जीवन की कोमल अबला का स्वयंवर रचने वाला है
आओ सला-ए-आम है सब को जितने भी अलबेले हैं
अफ़ज़ल परवेज़
ग़ज़ल
ख़ामोशी ख़ुद अपनी सदा हो ये भी तो हो सकता है
सन्नाटा ही गूँज रहा हो ये भी तो हो सकता है
ज़का सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
हम जवानों को न छोड़ा उस से सब पकड़े गए
ये दो-साला दुख़्तर-ए-रज़ किस क़दर शत्ताह है
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
ये चश्म-ए-लुत्फ़ मुबारक मगर दिल-ए-नादाँ
पयाम-ए-इश्वा-ए-रंगीं सला-ए-दार न हो