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ग़ज़ल
ग़ुंचे ग़ुंचे में है पोशीदा सलीब-ए-ग़म-ए-दोस्त
किस ने फूलों में ये क़ातिल की अदा रक्खी है
ख़लील-उर-रहमान राज़
ग़ज़ल
ऐ ग़म-ए-दोस्त तिरा वो ही सहारा होगा
बे-ख़बर रह के तुझे जिस ने बुलाया होगा
मुज़फ़्फ़रुन्निसा नाज़
ग़ज़ल
ग़म-ए-दोस्त को आसाइश-ए-दुनिया से ग़रज़ क्या
बीमार-ए-मोहब्बत को मसीहा से ग़रज़ क्या
शंकर लाल शंकर
ग़ज़ल
अबरार आबिद
ग़ज़ल
हफ़ीज़ुल्लाह ख़ान बद्र
ग़ज़ल
दिल की बर्बादी का रोना ऐ ग़म-ए-नाकाम क्या
इस तरह दर्द-ए-मोहब्बत को करें बदनाम क्या