aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "samajhne"
ग़ुलामी को बरकत समझने लगेंअसीरों को ऐसी रिहाई न दे
ये एक बात समझने में रात हो गई हैमैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है
इक मुअ'म्मा है समझने का न समझाने काज़िंदगी काहे को है ख़्वाब है दीवाने का
प्यार का ख़ून हुआ क्यूँ ये समझने के लिएहर अँधेरे को उजाले में बुलाया जाए
हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँदो घड़ी की चाहत में लड़कियाँ नहीं खुलतीं
बच्चे भी ग़रीबी को समझने लगे शायदअब जाग भी जाते हैं तो सहरी नहीं खाते
तुझे तराश के मैं सख़्त मुन्फ़इल हूँ कि लोगतुझे सनम तो समझने लगे ख़ुदा मुझ को
जिन्हें सलीक़ा है तहज़ीब-ए-ग़म समझने काउन्हीं के रोने में आँसू नज़र नहीं आते
उसे समझने का कोई तो रास्ता निकलेमैं चाहता भी यही था वो बेवफ़ा निकले
उम्र-भर की मोहलत तो वक़्त है तआ'रुफ़ काज़िंदगी समझने में देर कुछ तो लगती है
ऐ हक़ीक़त को फ़क़त ख़्वाब समझने वालेतू कभी साहिब-ए-असरार नहीं हो सकता
बुलबुला फिर से चला पानी में ग़ोते खानेन समझने का उसे वक़्त न समझाने का
समझ तो लीजिए कहने तो दीजिए मतलबबयाँ से पहले ही मुझ पर छुरी निकलती है
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन कोक्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
अब समझने लगा हूँ सूद-ओ-ज़ियाँअब कहाँ मुझ में वो जुनूँ साहब
मैं नादानी पे अपनी आज तक हैरान हूँ 'दाना'कि दुनिया को समझने की समझदारी नहीं आई
मुश्किल को समझने का वसीला निकल आतातुम बात तो करते कोई रस्ता निकल आता
फिर उस को जा के बताना पड़ा ग़लत है येसमझने वाले ने क्या क्या समझ रखा था मुझे
बन जाता है कैसे कोई सालार मुनाफ़िक़ये बात समझने को है दरकार मुनाफ़िक़
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