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ग़ज़ल
उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा
यूँही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
नूह नारवी
ग़ज़ल
सुराही गर्दन वो आबगीना फिर आगे सीना भी जूँ नगीना
भरा है जिस में तमाम कीना कि जूँ नगीना दमक रहा है
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
निकल आया अगर आँसू तो ज़ालिम मत निकाल आँखें
सुना मा'ज़ूर है मुज़्तर निकल आया निकल आया
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ग़ज़ल
मैं वो शाएर हूँ जो शाहों का सना-ख़्वाँ न हुआ
ये है वो जुर्म जो मुझ से किसी उनवाँ न हुआ
अहमद नदीम क़ासमी
ग़ज़ल
अब ज़बाँ ख़ंजर-ए-क़ातिल की सना करती है
हम वही करते हैं जो ख़ल्क़-ए-ख़ुदा करती है