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ग़ज़ल
उजड़ी यादो टूटे सपनो शायद कुछ मालूम हो तुम को
कौन उठाता है रह रह कर टीसें शाम-सवेरे दिल में
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
उस ने सारी दुनिया माँगी मैं ने उस को माँगा है
उस के सपने एक तरफ़ हैं मेरा सपना एक तरफ़
वरुन आनन्द
ग़ज़ल
वो रातें चाँद के साथ गईं वो बातें चाँद के साथ गईं
अब सुख के सपने क्या देखें जब दुख का सूरज सर पर हो
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
हम कहते हैं ये जग अपना है तुम कहते हो झूटा सपना है
हम जन्म बिता कर जाएँगे तुम जन्म गँवा कर जाओगे
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
दिल जवाँ सपने जवाँ मौसम जवाँ शब भी जवाँ
तुझ को मुझ से इस समय सूने में मिलना चाहिए
गोपालदास नीरज
ग़ज़ल
रोज़ इन आँखों के सपने टूट जाते हैं तो क्या
रोज़ इन आँखों में फिर सपने सजाने चाहिएँ
राजेश रेड्डी
ग़ज़ल
शुक्र करो तुम इस बस्ती में भी स्कूल खुला वर्ना
मर जाने के बा'द किसी का सपना पूरा होता था