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ग़ज़ल
दो अश्क जाने किस लिए पलकों पे आ कर टिक गए
अल्ताफ़ की बारिश तिरी इकराम का दरिया तिरा
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
शरीक-ए-हाल-ए-दिल-ए-बे-क़रार आज भी है
किसी की याद मिरी ग़म-गुसार आज भी है
अलीम अख़्तर मुज़फ़्फ़र नगरी
ग़ज़ल
तस्कीन-दिल-ओ-जाँ है अगर वो रुख़-ए-ज़ेबा
उस क़ामत-ए-ज़ेबा में है इक हश्र छुपा भी
हाफ़िज़ लुधियानवी
ग़ज़ल
इलाज-ए-दर्द-ए-दिल-ए-सोगवार हो न सका
वो ग़म-नवाज़ रहा ग़म-गुसार हो न सका
सूफ़ी ग़ुलाम मुस्ताफ़ा तबस्सुम
ग़ज़ल
असर-ए-आह-ए-दिल-ए-ज़ार की अफ़्वाहें हैं
या'नी मुझ पर करम यार की अफ़्वाहें हैं
मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता
ग़ज़ल
इज़हार-ए-जज़्बा-ए-दिल-ए-पोशीदा देखना
अब फूल ख़ुद हैं ख़ार के गिरवीदा देखना