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ग़ज़ल
ऐ घनघोर घटाओ बरसो सौतन ही की दुनिया में
दूर देस में मेरा साजन जिस के कारन रहता है
तुफ़ैल होशियारपुरी
ग़ज़ल
जिन की ख़ातिर दुनिया छोड़ी गली गली बदनाम हुए
वो कहते हैं हम न सुनेंगे बात किसी सौदाई की
तुफ़ैल होशियारपुरी
ग़ज़ल
दश्ना-ए-ग़म्ज़ा जाँ-सिताँ नावक-ए-नाज़ बे-पनाह
तेरा ही अक्स-ए-रुख़ सही सामने तेरे आए क्यूँ
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
ख़िज़्र-सुल्ताँ को रखे ख़ालिक़-ए-अकबर सरसब्ज़
शाह के बाग़ में ये ताज़ा निहाल अच्छा है
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं
लेकिन इस तर्क-ए-मोहब्बत का भरोसा भी नहीं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
फ़ना बुलंदशहरी
ग़ज़ल
जब यार ने उठा कर ज़ुल्फ़ों के बाल बाँधे
तब मैं ने अपने दिल में लाखों ख़याल बाँधे