aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "shaaKH-e-shajar"
पत्ते नहीं कहीं हरी शाख़-ए-शजर नहींइस शहर में बहार की कोई ख़बर नहीं
हर एक शाख़-ए-शजर की तरफ़ लपकता हुआहवा का झोंका इधर आया था भटकता हुआ
तू मोहब्बत का आशियाना थाछोड़ कर तुझ को ऐ 'शजर' जाना
जो कहीं भी ठहर जाए सो और हैऐ शजर है मुसलसल सफ़र ज़िंदगी
मुब्तला है सोच में ये देख के दुनिया 'शजर'क्यों मुसल्ला चादर-ए-आब-ए-रवाँ होने लगा
समझ गया था तुझे देखते ही जान-ए-'शजर'हज़ार बार लुटेंगे जो एक बार मिलें
चंद तिनके न थे नशेमन केबाग़-ओ-शाख़-ओ-शजर का क़िस्सा है
मिरे मालिक सर-ए-शाख़-ए-शजर इक फूल की मानिंदमिरी बे-दाग़ पेशानी पे सज्दा रख दिया जाए
ज़र्द आता है नज़र ख़ौफ़-ए-ख़िज़ाँ से वो भीएक पत्ता जो सर-ए-शाख़-ए-शजर बाक़ी है
चंद तिनके जो सर-ए-शाख़-ए-शजर लिपटे हैंतुझ को मालूम है ऐ बर्क़ नशेमन है मिरा
ता-सुब्ह बर्ग-ओ-शाख़-ओ-शजर झूमते रहेकल शब बला का सोज़ हवा के गले में था
जब हो गई है ख़िदमत-ए-शाख़-ओ-शजर नसीबपैदा चमन में कुछ तो नई रंग-ओ-बू करूँ
एज़ाज़-रंग-ओ-बू से नवाज़ा गया उसेजिस गुल के सर पे साया-ए-शाख़-ए-शजर न था
खुली हवाओं में उड़ना तो उस की फ़ितरत हैपरिंदा क्यूँ किसी शाख़-ए-शजर का हो जाए
गुलों से है गिला शाख़-ए-शजर कोसमुंदर पानियों से ख़ुश नहीं है
हर इक शाख़-ए-शजर से दुख न बरसेअभी वो मरहला आया नहीं है
ये तजरबात का मौसम अजीब मौसम हैकहीं भी शाख़-ए-शजर पर नुमू नहीं रहता
हवा-ए-वक़्त के हमले तो देखोहर इक शाख़-ए-शजर बदली हुई है
इस राह-ए-सफ़र में साया-ए-अफ़्गनइक शाख़-ए-शजर न मिल सकेगी
हमारे शहर के हर संग-बार से ये कहोहमारी शाख़-ए-शजर पर समर नहीं आया
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books