आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "shabbu aur wahshi razia butt ebooks"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "shabbu aur wahshi razia butt ebooks"
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
अब वही हर्फ़-ए-जुनूँ सब की ज़बाँ ठहरी है
जो भी चल निकली है वो बात कहाँ ठहरी है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
विसाल-ओ-हिज्र के जंजाल में पड़ा हुआ हूँ
में अर्श-ए-रौ कहाँ पाताल में पड़ा हुआ हूँ