आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "shahr-e-be-haras"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "shahr-e-be-haras"
ग़ज़ल
न ज़ीस्त की कोई हलचल न मौत ही की फ़ुग़ाँ
है कोहर कोहर सा इक शहर-ए-बे-हरस मुझ में
अब्दुल्लाह कमाल
ग़ज़ल
इस शह्र-ए-बे-ख़ता में ख़तावार मैं ही हूँ
या'नी गुलों के बीच में इक ख़ार मैं ही हूँ