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ग़ज़ल
ये तेरी बे-ज़री और हासिदों का ये हसद तौबा
अगर ऐ 'अम्न' तेरे पास ज़र होता तो क्या होता
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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ये तेरी बे-ज़री और हासिदों का ये हसद तौबा
अगर ऐ 'अम्न' तेरे पास ज़र होता तो क्या होता