आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "shanaakht"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "shanaakht"
ग़ज़ल
बाब-ए-रुख़्सत से गुज़रता हूँ सो होती है शनाख़्त
जिस क़दर दोश पे सामान है सब खुलता है
शाहीन अब्बास
ग़ज़ल
कोई ख़्वाब सर से परे रहा ये सफ़र सराब-ए-सफ़र रहा
मैं शनाख़्त अपनी गँवा चुका गई सूरतों की तलाश में