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ग़ज़ल
वक़्त-ए-आख़िर काम जज़्ब-ए-ना-तमाम आया तो क्या
हिचकियों की शक्ल में उन का पयाम आया तो क्या
रौशन बनारसी
ग़ज़ल
नज़र ख़मोश हुई अर्ज़-ए-ना-तमाम के बा'द
कुछ और कह न सके अश्क-ए-बे-कलाम के बा'द
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
इक हर्फ़-ए-ना-तमाम हूँ आगे की बात छोड़
मैं ख़ास हूँ न 'आम हूँ आगे की बात छोड़
माजिद जहाँगीर मिर्जा
ग़ज़ल
गुज़र गया इंतिज़ार हद से ये वादा-ए-ना-तमाम कब तक
न मरने देगी मुझे सितमगर तिरी तमन्ना-ए-ख़ाम कब तक
फ़ानी बदायुनी
ग़ज़ल
शरह-ए-हक़ीक़त-ए-तलब-ए-ना-तमाम है
इक दफ़्तर-ए-शिकायत-ए-बेजा कहें जिसे
सय्यद वाजिद अली फ़र्रुख़ बनारसी
ग़ज़ल
किया तकमील-ए-नक़्श-ए-ना-तमाम-ए-शौक़ की ख़ातिर
जौ तुम से हो सका तुम ने जौ हम से हो सका हम ने